मंगलवार, जनवरी 19, 2010

गीत




कल
वसंत पंचमी है.
हम कलमकारों के लिये सबसे बडा दिन.
माता सरस्वती की पूजा और साथ ही
महाप्राण निराला का जन्म दिवस.
सभी मित्रों और ब्लागर्स भाइयों को
वसंत पर्व की आत्मिक शुभकामनाओं के साथ
अपनी पूजा में ऍक गीत के साथ
आप सबको साझा करना चाहता हूँ॑.
गीत उस समय का है जब लय से जान पहचान में
सारा दिन और आधी रात गुनगुनाते ही बीत जाती थी.
हालांकि हमारे यहां आज कल मौसम गीत जैसा नहीं है
लेकिन फिर भी...........

गीत
आ गया है नव वसंत
जिस तरफ उठे नजर
उसी तरफ बहार है.
हर तरफ वसंत की
शराब का खुमार है.
झूमता गगन पवन औ
झूमते हैं दिग दिगन्त.
आ गया है नव वसंत.
.
मखमली वसन पहन
वसुन्धरा मगन मगन.
नव वधू सी शर्म से
झुके झुके नयन नयन.
आ चुके हैं ब्याहने को
आज कामदेव कन्त.
आ गया है नव वसंत.
.
द्वार द्वार फाग राग
ढोलकें धुनक रहीं.
बाग बाग डाल डाल
कोयलें कुहक रहीं.
विश्व की प्रसन्नता का
आज आदि है न अन्त.
आ गया है नव वसंत