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रविवार, अगस्त 09, 2009

शेयर बाज़ार मेरी नज़र में.......

चौंकिये मत मैं कवि ही हूं बस आज मन है कि इस पर भी अपने मन की बात आप सबसे शेयर कर ली जाय. मैं कोई इस बाज़ार का एक्सपर्ट तो नहीं लेकिन जो मैं इसके बारे मैं जानता और मानता हूं वही आप सबसे साझा करने की कोशिश करता हूं. बहुत सारे लोग सोचते हैं कि अरे अपने शेयर बेच लेते तो ज्यादा अच्छे रहते अब मार्केट गिरने पर खरीद लेते या अरे पहले न बेचकर अब बेचते तो अच्छा मुनाफा कमा लेते. ऐसा सोचना सही नहीं है. शेयरों को अथवा इस बाज़ार को ऊपर जाने/ले जाने के लिये वाल्यूम अर्थात शेयरों की आवश्यकता होती है. ऐसा कभी नहीं हो सकता कि बडे-बडे संस्थागत और विदेशी निवेशक शेयरों को बेचें, जनता खरीदे और बाज़ार ऊपर जाये. होता ये है कि ऊपर जाने पर आम निवेशक हर स्तर पर अपने शेयर बेचता जाता है, बडे-बडे सं0और विदे0 निवेशक शेयरों को खरीदते जाते हैं और बाज़ार ऊपर चढता जाता है. एक समय ऐसा आता है कि आम निवेशक की स्थिति दो तरह की हो जाती है- या तो बाज़ार में उसकी भागेदारी कम हो जाती है अथवा तेजी को देखते हुए आम निवेशक शेयरों को बेचना बन्द कर रोकना शुरू कर देता है, बस बाज़ार यहीं से गिरना शुरू हो जाता है क्योंकि ऊपर जाने के लिये उसके पास वाल्यूम ही नहीं हैं. अब बाज़ार उस समय तक करैक्शन मोड में रहता है जब तक कि आम निवेशक घबराकर या परेशान होकर शेयरों को बेचना शुरू नहीं कर देता है. इसलिये ये निश्चित है कि बाज़ार जितनी तेज़ी से ऊपर जायेगा उतना ही डीप करैक्शन होने की संभावना ज्यादा रहेगी. जब बाज़ार ऊपर से करैक्शन लेता है और आम निवेशक तुरंत शेयर बेचकर बाज़ार से दूर होने लगते हैं तो बाज़ार तुरंत वाल्यूम मिल जाने के कारण वापस ऊपर जाना शुरू कर देता है और यदि आम निवेशक उस करैक्शन मानकर बाज़ार नें निवेशित रहता है तथा और खरीददारी करता है तो बाज़ार वाल्यूम की तलाश में नीचे का रुख किये रहता है और तब तक किये रहता है जब तक कि आम निवेशक ऊपरी स्तरों पर ख़रीदे गये शेयरों को घाटे में बेचकर बाहर नहीं हो जाता. कुल मिलाकर बात ये है कि ये बाज़ार जनता से पैसा उगाहने के लिये बना है. देने के लिये नहीं. ऐसा कभी नहीं हो सकता कि आम निवेशक कोई शेयर पचास रुपये में खरीदकर सौ रुपये मे बेचे और खरीदनेवाला संस्थागत निवेशक हो हां ये हो सकता है कि संस्थागत निवेशक उसी शेयर को सौ रुपये में खरीदे और फिर एक सौ पचास रुपये में फिरसे आम निवेशक को चाशनी लगाकर बेच दे. पहले वाला आम निवेशक ज़रूर पचास रुपये कमालेगा लेकिन दूसरा आमनिवेशक पचास रुपये गंवायेगा. छुरी और तरबूज़े में से चाहे तरबूज़ा छुरी पर गिरे या छुरी तरबूज़े पर, नुकसान तरबूज़े का ही होना है, आमीन!