तमाम किंतु-परंतु के पश्चात इस यात्रा संस्मरण की आखिरी कडी प्रस्तुत है. इस संस्मरण के बहाने भाई नवनीत का लेखक के रूप में अवतरण हुआ है. उम्मीद है उनके इस रूप के दर्शन आगे भी होंगे----
------जब हम शिकारा से भ्रमण कर रहे थे उस समय सूर्यास्त का समय था. इस समय डल झील के आस पास का द्रृश्य बेहद सुहाना था. डल झील के बीच-बीच में पानी के ऊपर तैरते हुए खेत रोमांचित कर रहे थे. कश्मीर में उस समय शादियों का मौसम था. शादियों के कार्यक्रम के लिये सजे-धजे हाऊस बोट, शिकारे और शृंगार की हुई कश्मीरी युवतियां, इस सबके सामने तो अपने यहां की शादियों की रौनक कुछ भी नहीं है. शिकारे के मालिक मो0अफजल ने शिकारा कुछ हैण्डीक्राफ्ट्स की दुकान के पास लगा दिया और आग्रह किया कि आप कश्मीर आये हैं तो कुछ हैण्डीक्राफ्ट्स का सामान ज़रूर ले जायें. आगरा का निवासी होने के कारण उसका मनोभाव तो समझ में आ रहा था लेकिन हमने सोचा कि लाओ देख तो लेते हैं. सबसे पहले एक कपडे की दुकान में प्रवेश किया. तमाम तरह के शाल,जैकेट देखने पर हकीकत यह थी कि कुछ चीज़ों को छोडकर बाकी सारे कपडे लुधियाना मेड थे कश्मीर के नाम पर बेचे जा रहे थे.लकडियों से बने हैंण्डीक्रफ्ट्स ने ज़रूर प्रभावित किया.
आज के डिनर का निमंत्रण शाहजहां भाईजान की तरफ से था. वे क़रीब 8-30बजे आये और हमें वहां के प्रसिद्ध मुग़ल दरबार रेस्टोरेंट ले गये. रेस्टोरेंट के अन्दर की साज सज्जा बेहद दिलकश थी. उन्होंने कश्मीरी व्यंजन का आर्डर दिया. हमने रोगन जोश, गुस्तावा, कश्मीरी बिरयानी, बतर चिकन और मुंतांजा व्यंजन चखे. मैंने जगह-जगह के नान वेज टेस्ट किया है लेकिन जिन्दगी में पहली बार इतने लजीज नान वेज व्यंजन खाये थे. डिनर के बाद शाहजहां भाईजान ने हमें वापस हाऊस बोट छोडा और हम पांच मिनट के भीतर अपनी-अपनी रजाई में थे. अगले दिन हमारी फ़्लाइट 2-30बजे थी ठीक 11.30पर शाहजहां भाई जान फिर हाज़िर थे. एयरपोर्ट लगभग 12किलोमीटर दूर था. भाईजान हमें वहां तक छोडने आये. एक दिन की मुलाकात के बाद इतना अपनापन पहली बार देखने को मिल रहा था. तमाम सुरक्षाचक्रों से गुज़रते हुए 3.30बजे हमने कश्मीर की खुशनुमा और न भलाई जा सकने वाली यादों के साथ हम दिल्ली की ओर उड चले. दीपवली की भीड-भाड के कारण बडी मुश्किल से रात 2बजे आगरा पहुंच सके. अगले दिन संजीव भाई से जब ये सारी बातें शेअर हुईं तो उनके आग्रह पर इस संस्मरण को मैंने लेखनीबद्ध किया और संजीव भाई के हवाले कर दिया. आखिर में मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने टिप्पणियों के द्वारा मेरी हौसला आफ्ज़ाई की. फिर किसी मोड पर मुलाकात होगी.........
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