बुधवार, मई 13, 2009



नवगीत की पाठशाला में मेरा नवगीत पढें


http://navgeetkipathshala.blogspot.com/2009/05/blog-post.html

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

ये मेरा पुराना वाला आगरा का मित्र है क्या??

जो ऑनलाईन कवि सम्मेलनों में मेरे साथ होता था?


बताओ जरा?

गौतम राजऋषि ने कहा…

आपकी दो ग़ज़लें जो यूं तो आपके ब्लौग पर भी पढ़ चुका था, अभी युगीन काव्या के नये अंक में पढ़ रहा हूँ..
क्यूं निभाता है वो आखिर इस तरह से दोस्ती वाला और मेरे ईश्वर मेरे बच्चों को हंसने दे

बधाई

गौतम राजऋषि ने कहा…

ये तो आपने बड़ी दिलचस्प बात बतायी दुष्यंत जी के पुत्र के बारे में। किस रेजिमेंट या युनिट में हैं, कुछ मालूम है आपको?
और आप कहां मेरे संकलन छपने की बात पूछ बैठे संजीव जी? अभी तो डगमगाते कदमों से ग़ज़ल की कठिन राह पर चलना सीख रहा हूँ...
अपना ई-मेल दें, कृपया।