गुरुवार, अक्तूबर 01, 2009

इधर कुछ दिनों से मन अच्छा नहीं रहा. कम्प्यूटर पर आवाजाही कम ही हुई उस पर गौतम भाई का समाचार मन को उदास किये रहा. कल सुबह जैसे ही हिन्दुस्तान अखबार पर निगाह पडी तो पहली खुशी मिली. सम्पादकीय पृष्ठ पर नई सडक वाले भाई रवीश जी के ब्लाग वार्ता कालम में गौतम राजरिशी के ब्लाग पर आलेख पढकर आनन्द आ गया. जैसी ही गौतम भाई को फोन पर इसकी सूचना दी तो दूसरी खुशी यह समाचार जानकर हुई कि भाई की तबीयत पहले से काफी बेहतर है और अब थोडा टहल भी रहे हैं. परम पिता को लाख-लाख धन्यवाद......
अब एक अजीब संयोग की चर्चा.... पिछले वर्ष निर्वाचन की ड्यूटी के दौरान निर्वाचन सूचियों से माथापच्ची के समय बडा अज़ब संयोग देखने को मिला कि जैसे हम तीन भाई राजीव, संजीव और प्रमोद है वैसे ही दूसरे राजीव, संजीव और प्रमोद हैं. मेरा दोस्त राहुल और उसका भाई रोहित वैसे ही वहां राहुल और उसका भाई रोहित ही है. ऐसे तमाम उदाहरण देखने को मिले. कल जब आफिस में अपने वरिष्ठ साथी का परिचय पत्र देखा तो उनके पिता का नाम श्री लालमणि था. निर्वाचन ड्यूटी के समय इसी नाम के एक निर्वाचक के पिताजी का नाम रामजतन था. मैंने उनसे पूछा कि उनके बाबा का क्या नाम था वो बोले राम जतन. मैं हतप्रभ था.... आदरणीय श्री राजेश रेड्डी जी का ये शेर कानों में गूंजने लगा--

दिल के बहुत करीब निगाहों से दूर है.
दुनिया में एक और भी दुनिया ज़रूर है.


13 टिप्‍पणियां:

रविकांत पाण्डेय ने कहा…

दिल के बहुत करीब निगाहों से दूर है.
दुनिया में एक और भी दुनिया ज़रूर है.

बहुत सुंदर शेर!
ईश्वर गौतम जी को शीघ्र स्वस्थ करे। और सच में ये तो अद्भुत संयोग है।

श्यामल सुमन ने कहा…

बहुत सहजता से आप अपनी बात कह गए। इस संयोग के अतिरिक्त क्या कहा जा सकता है? शेर बहुत लाजवाब है।

सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com

Harshvardhan ने कहा…

bahut sundarta se apni baat kahi hai aapne...........

daanish ने कहा…

bahut hi khoobsurat hawaaloN se
kai kaam ki baateiN keh daaleeN aapne
aur....Major Gautam ke liye hm sb duaa-go haiN..
EESHWAR se aapki achhee sehat aur aapke sukh ki kaamnaa karta hooN
---MUFLIS---

"अर्श" ने कहा…

sach me sanyog to sanyog hai hi... gautam bhaaee ke liye allaah miyaan se gujaarish aur duyaayen..


arsh

Udan Tashtari ने कहा…

दिल के बहुत करीब निगाहों से दूर है.
दुनिया में एक और भी दुनिया ज़रूर है.

राजेश रेड्डी जी का शेर बेहतरीन!!

गौतम जी के स्वास्थय सुधार के बारे में जानकर अच्छा लगा.

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

wah ajab sanyog hain.

gautam ji ka haal jaankar achcha laga. dhanyawaad.

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

गौतम जी के स्वास्थय सुधार के बारे में जानकर अच्छा लगा.
सादर

www.cmgupta.blogspot.com

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

ऐसे इत्तिफ़ाक़ बहुत हो जाते है..
शेर बिल्कुल सही दिशा में जाता हुआ ..धन्यवाद!!

सर्वत एम० ने कहा…

यही सुखद संयोग इस दुनिया में जीने का हौसला देते हैं. गौतम जी की कैफियत के बारे में दो दिन पहले पता चला, सुकून की सांस मिली. फिर संयोग पर आता हूँ, इलाहबाद में एक मित्र है: जगन्नाथ सहाय, उनका एक शेर है,
एक हमशक्ल तेरी याद दिला जाता है
मेरे जैसा भी कोई तेरे उधर है कि नहीं
मैं पोस्ट की कोई तारीफ नहीं करूंगा, अच्छा लिखने वालों को बार बार अच्छा लिखना ठीक नहीं होता. उनका दिमाग बिगड़ जाने का खतरा बन जाता है.

storyteller ने कहा…

संजीव जी मेरे ब्लॉग पर कॉमेंट करने के लिए धन्यवाद, मैं आगरा का हूँ और दिल्ली मैं रहता हूँ , सर्वत जी से बात हुई तो उन्होने आपसे संपर्क करने के लिए कहा , मेरा मोबाइल नंबर 9911602014है,अपना नंबर दीजिए , बात करते हैं और आगरा आता हूँ तो मुलाकात भी करेंगे

श्रद्धा जैन ने कहा…

दिल के बहुत करीब निगाहों से दूर है.
दुनिया में एक और भी दुनिया ज़रूर है.


Aap sach kahte hain Sanjeev ji
kuch to hai jo samjh se pare hai
jise ham chamtkaar kahte hain

ye jaankar bahut achcha laga ki
ab gaoutam ji behtar hai

jald hi wo ham sabke beech honge aasha hai

गौतम राजऋषि ने कहा…

अद६भुत संयोग था ये तो सचमुच...

और मैं काफी अच्छा हूं संजीव जी अब तो। शायद कुछेक दिन में हास्पिटल से छुटकारा भी मिल जाये...

कोई नयी ग़ज़ल पढ़वाईये अब तो...